आओ अजनबी बन जायें

आओ आज फिर एक बार 
हम अजनबी बन जायें 

न हम तुमको पहचानें 
न तुम हमें जानो

कुछ दायरों में सिमटे इन रिश्तों को
फिर एक नयी रौशनी दें 

मिल कर भी न मिलें,
और प्यार के सागर में हम डूब जायें

न तुम तैर कर हम तक आ सको
न हम किनारा पा सकें,

बस इन प्यारे तूफानों में हम बहते रहें
 और प्यार को अपने बंधनों से निकाल 

एक अथाह और असीम जिन्दगी 

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