ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है लेकिन बदलियाँ हैं के थमती नहीं कितना भागती हूँ धूप के पीछे लेकिन शामें हैं के ढलती नहीं डरती नहीं मैं किसी भी अन्जाम से लेकिन मुहब्बत है के सुकूं देती नहीं
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आओ अजनबी बन जायें
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आओ आज फिर एक बार हम अजनबी बन जायें न हम तुमको पहचानें न तुम हमें जानो कुछ दायरों में सिमटे इन रिश्तों को फिर एक नयी रौशनी दें मिल कर भी न मिलें, और प्यार के सागर में हम डूब जायें न तुम तैर कर हम तक आ सको न हम किनारा पा सकें, बस इन प्यारे तूफानों में हम बहते रहें और प्यार को अपने बंधनों से निकाल एक अथाह और असीम जिन्दगी