Posts

Showing posts from August, 2017
ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है  लेकिन बदलियाँ हैं के थमती नहीं  कितना भागती हूँ धूप के पीछे  लेकिन शामें हैं के ढलती नहीं  डरती नहीं मैं किसी भी अन्जाम से लेकिन मुहब्बत है के सुकूं देती नहीं 

आओ अजनबी बन जायें

आओ आज फिर एक बार  हम अजनबी बन जायें  न हम तुमको पहचानें  न तुम हमें जानो कुछ दायरों में सिमटे इन रिश्तों को फिर एक नयी रौशनी दें  मिल कर भी न मिलें, और प्यार के सागर में हम डूब जायें न तुम तैर कर हम तक आ सको न हम किनारा पा सकें, बस इन प्यारे तूफानों में हम बहते रहें  और प्यार को अपने बंधनों से निकाल  एक अथाह और असीम जिन्दगी 

पहले सी

अब वो पहली सी शिद्दत नहीं रही, वो हंसी,  बातें नहीं रही, जिन्दा हूँ मैं पर वो पुरानी सी जिन्दगी नहीं रही, लड़की तो हूँ पर वो पहले सी नहीं रही ।

मुहब्बत कुछ यूं निभाई

चेहरे पे न शिकन कभी आने दी दर्द को कुछ यूं पी लिया उनकी बेवफाई को दिल से लगा अपनी बेइज्जती कुछ यूं समेट ली वो हर शह में हमें तोड़ते रहे और हम हंस कर टूटते रहे अपनी मुहब्बत कुछ यूं निभाई हमने।

दर्द

वो एक शहर था, वो एक गली थी, जिसमें  गुम मेरी हंसी थी, इधर उधर ढूंढा बहुत, मगर न मिलना था न मिली वो परेशां होकर, एक खाका खींचा, और लबों पे चस्पा कर लिया, लरजते लबों को सबने देखा, दिल के दर्द को दबाते हुए लरजे थे ये न कोई देख पाया।